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सहरसा राज्य रानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस 130 KMPH से चलेगी

 सहरसा से पटना के बीच चलने वाली राज्य रानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस अब 130 KMPH से चलेगी ।
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बिहार से पंजाब जाने वाली स्पेशल ट्रेन, सिर्फ घोषणा मात्र होकर रह गई

 रेलवे द्वारा त्योहार के अवसर पर बिहार के पटना से फिरोजपुर, सहरसा से अमृतसर व दरभंगा से अमृतसर के लिये पूजा स्पेशल ट्रेन की घोषणा की थी, जो सिर्फ कागजों पर ही धरी रह गई । पंजाब में महिनों से चल किसान आन्दोलन से नई ट्रेनों के परिचालन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। जितनी भी नई ट्रेन पंजाब के लिये घोषणा की गई उसमें से कोई भी एक दिन भी नहीं चल पाई। सबसे पहले 04655/56 पटना फिरोजपुर छावनी स्पेशल 24 अक्टूबर से 28 नवंबर 2020 तक चलाने की सूचना प्रकाशित की गई थी। परंतु यह एक दिन भी नहीं चल पाई। यात्रा के दिन इसका आरक्षण बंद कर दिया जाता है तथा कैंसिल बताया जाता है। फिर 04623/4 सहरसा अमृतसर पूजा स्पेशल 22 अक्तूबर से 30 नवम्बर तक चलनी थी। परंतु ये ट्रेन भी अभी तक नहीं चल पाई। दिवाली और छठ के अवसर पर पूर्व मध्य रेलवे द्वारा दो नई जनसाधारण स्पेशल चलाये जाने की घोषणा की गई थी। जिसमें 05211/12 दरभंगा अमृतसर जननायक स्पेशल व 05531/32 सहरसा अमृतसर जनसाधारण स्पेशल शामिल था। परंतु यह ट्रेन भी अभी तक पटरी पर नहीं आ सकी। इन सभी ट्रेनों का आरक्षण शुरू है, लेकिन यात्रा के दिन अचानक बंद कर दिया जाता है। इससे साफ पता

भरत खण्ड किला : खगड़िया का हवा महल

स्थान :-   खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड अंतर्गत सौढ दक्षिणी पंचायत के भरतखंड गांव का ढाई सौ साल पुराने बाबन कोठली तिरपन द्वार के नाम से विख्यात पक्का एवं सुरंग को देखने के बिहार ही नहीं अन्य राज्यों के दुर दराज से कोने-कोने से लोग आते हैं। यह धरोहर जाह्नवी ( गंगा ) के तट पर अवस्थित है। *बनाया गया*:- 18वीं सदी में सोलंकी वंश के राजा मध्यप्रदेश के तरौआ निवासी बाबू बैरम सिंह ने मुगलकालीन कारीगर बकास्त मिया के हाथों 52 कोठरी, 53 द्वार का निर्माण कराया था। जानकार बताते हैं कि इस कारीगर के नेतृत्व में तत्कालीन  मुंगेर जिला के खगड़िया अनुमंडल में भरतखंड का पक्का,  भागलपुर जिला के नारायणपुर - बिहपुर स्थित नगरपाड़ा का कुआँ एवं मुंगेर का किला कारीगरों ने बनाया था। लोग इस तीनों ऐतिहासिक धरोहर को क्षेत्र के लिये गौरव करार देते हैं। महल की भव्यता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि, उक्त महल पांच बिघा, पांच कट्ठा, पांच धूर व पांच धुरकी में है। *बनावट*:- यह महल सुरखी चूना, कत्था, तथा राख से बनाया गया है। महल में माचिस आकार के ईंट से लेकर दो फीट तक के कई तरह के ईंटों का प्रयो